अब केस लिखने के बाद बेनकाब होगा रिश्वतखोर का चेहरा, 23 साल बाद विजिलेंस के पैटर्न में हुआ बदलाव
विजिलेंस की कार्यशैली में 23 साल बाद बड़ा बदलाव हुआ है। अब विजिलेंस शिकायत मिलने के बाद पहले रिश्वतखोर पर मुकदमा दर्ज करेगी उसके बाद आरोपित की गिरफ्तारी की जाएगी। ऐसा कारनामा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
सर्तकर्ता अधिष्ठान (विजिलेंस) की कार्यशैली में 23 साल बाद बड़ा बदलाव हुआ है। अब विजिलेंस शिकायत मिलने के बाद पहले रिश्वतखोर पर मुकदमा दर्ज करेगी उसके बाद आरोपित की गिरफ्तारी की जाएगी।
ऐसा कारनामा करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। विजिलेंस और ईडी की कार्यवाही लगभग एक जैसी है। मगर दोनों में बड़ा अंतर ये है कि ईडी रिश्वतखोर को पकड़ने से पहले मुकदमा दर्ज करती है।
जबकि विजिलेंस रिश्वतखोर को पकड़ने के बाद मुकदमा दर्ज करती आई है। विजिलेंस ने अब अपनी कार्रवाई के तरीके में बदलाव किया है और ईडी की तरह मुकदमा दर्ज करने की शुरुआत कर दी है।
इससे यह रास्ता साफ हो गया है कि मुकदमा लिखने के बाद ही रिश्वतखोर का चेहरा बेनकाब होगा। देश में अभी तक ऐसा कहीं नहीं है कि विजिलेंस पहले केस दर्ज करती आई हो।
एक व्यक्ति की शिकायत पर विजिलेंस ट्रैप टीम का गठन करती थी। इंस्पेक्टर की अगुवाई में टीम मौके पर जाकर गोपनीय जांच करती थी। स्टाफ व अन्य लोगों ने अधिकारी के बारे में इनपुट जुटाया जाता था।
रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर नई टीम बनती थी। ट्रैप टीम के बताने पर शिकायतकर्ता रिश्वत के रकम पर रंग लगाकर पहुंचता था। रिश्वत लेते ही विजिलेंस आरोपित को रंगेहाथ गिरफ्तार कर लेती थी।
पहले मुकदमा लिखने से विजिलेंस के इंस्पेक्टर का काम हल्का हो जाएगा। अभी तक विजिलेंस का इंस्पेक्टर रिश्वतखोरी के मामले में खुद वादी बनता था। मगर अब शिकायतकर्ता को ही वादी बनाया जाएगा। क्योंकि मुकदमा पहले दर्ज कर लिया जाएगा। हालांकि जांच व उसके बाद की कार्रवाई विजिलेंस पहले की तरह करती रहेगी।
हाईकोर्ट का सवाल भी बदलाव की वजह
इसी वर्ष 10 मई हल्द्वानी सेक्टर की विजिलेंस ने मुख्य कोषाधिकारी नैनीताल दिनेश कुमार राणा व कोषागार के एकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी को 1.20 लाख की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया था।
इसी वर्ष 10 मई हल्द्वानी सेक्टर की विजिलेंस ने मुख्य कोषाधिकारी नैनीताल दिनेश कुमार राणा व कोषागार के एकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी को 1.20 लाख की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया था।
हाईकोर्ट पहुंचने पर यह मामला चर्चाओं में आया। हाईकोर्ट ने विजिलेंस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। पूछा था कि विजिलेंस व ईडी जब एक जैसी कार्रवाई कर रही है तो मुकदमा दर्ज करने में देरी क्यों की जा रही है। इसके बाद ही विजिलेंस की कार्रवाई की बदलाव आया है।
रिश्वतोर को पकड़ने से पहले अब केस दर्ज किए जा रहे हैं। रिश्वतखोर को पकड़वाने वाले का नाम गोपनीय रखा जाता है। आधुनिक दौर में विजिलेंस की कार्रवाई में भी कई बदलाव किए गए हैं। -वी मुरुगेश्वर, निदेशक विजिलेंस।
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