चर्चित रामपुर तिराहा कांड की सीबीआई बनाम राधा मोहन द्विवेदी पत्रावली में गवाही हुई। सीबीआई की ओर से पेश गवाह ने दो आरोपी पुलिसकर्मियों की पहचान की। बताया कि घटना वाले दिन पुलिसकर्मी महिला आंदोलनकारियों को एक दुकान पर खींचकर ले गए थे। मामले में कोर्ट में आज भी सुनवाई जारी रहेगी।
एक अक्तूबर, 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। पुलिसकर्मियों ने रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली। आरोप है कि महिला आंदोलनकारियों के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का
सीबीआई बनाम राधा मोहन द्विवेदी मामले में हुई गवाही
दरवाजा खटखटाया। 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे, जिसकी सुनवाई चल रही है। मंगलवार को सीबीआइ की ओर से कोर्ट में गवाह पेश किया गया।
घटना के समय रामपुर तिराहा के समीप
ढाबे पर काम करने वाले गवाह ने बताया कि दोपहर से आंदोलनकारियों की बस आनी शुरू हो गई थीं। दिल्ली जा रहे आआंदोलनकारियों को बेरीकेडिंग लगाकर रोका था। आंदोलनकारी शोर कर रहे थे।
पुलिस कर्मियों ने लाठीचार्ज कर दिया। आंदोलनकारी खेतों की ओर भागने लगे। आंदोलनकारियों की गाड़ियों से महिलाएं निकली। पुलिस वाले उनका हाथ पकड़कर खींचने लगे। पुलिस वाले महिला आंदोलनकारियों को एक दुकान पर खींच कर ले गए। हाजिर अदालत गवाह ने इस मामले में दो पुलिस कर्मियो की पहचान की। एक पुलिसकर्मी ने अपना नाम सुमेर सिंह यादव और दूसरे ने प्रबल प्रकाश बताया है। गवाही बुधवार को भी जारी रहेगी। संवाद
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