राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्रोफेसर्स को प्राचार्य पद पर पदोन्नति की मिली सौगात

उत्तराखंड उच्च शिक्षा के अंतर्गत विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्रोफेसर्स को प्राचार्य पद पर पदोन्नति दी गई है. इससे ना केवल पदोन्नति का इंतजार कर रहे प्रोफेसर्स को फायदा मिला है, बल्कि प्राचार्य के रिक्त पदों पर भी अब स्थाई नियुक्ति की जा सकती है. राज्य में करीब डेढ़ दर्जन ऐसे महाविद्यालय हैं जिन्हें अब इन पदोन्नतियों के चलते स्थाई प्राचार्य मिल गए हैं.

 

गौर हो कि उत्तराखंड में लंबे समय से राजकीय महाविद्यालयों में प्राचार्यों की स्थाई तैनाती की मांग उठती रही है. ऐसे में सरकार ने मांगों पर गौर कर स्थाई प्राचार्यों की तैनाती की है. उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत उत्तराखंड के डेढ़ दर्जन राजकीय महाविद्यालयों को अब स्थाई प्राचार्य मिल गए हैं. उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के अनुमोदन के बाद इन प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों को स्नातक प्राचार्य पद पर पदोन्नति दी गई है.

शासन स्तर से जारी आदेशों के तहत सभी को नई तैनाती स्थल भी आवंटित कर दिए गए हैं. राज्य सरकार ने महाविद्यालयों की प्रशासनिक और शैक्षणिक गतिविधियों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है. सरकार का कहना है कि स्थाई प्राचार्य नियुक्त होने से कॉलेजों के प्रबंधन में पारदर्शिता और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार आएगा.

 

इससे छात्र-छात्राओं को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और कॉलेजों को राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न रैंकिंग और नैक मूल्यांकन में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि सरकार प्रदेश के महाविद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था को अधिक प्रभावी और गुणवत्तापरक बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि प्राचार्य शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मियों के रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जा रहा है, जिससे शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा मिल सके

.जिन अधिकारियों को स्थाई प्राचार्य पद पर पदोन्नति दी गई है, उनमें प्रमुख रूप से प्रीति त्रिवेदी राजकीय महाविद्यालय पतलोट, नैनीताल, सुरेश चन्द्र ममगाई पौखाल, टिहरी गढ़वाल, शैराज अहमद तलवाड़ी, चमोली, डी.एन. तिवारी गरुड़, बागेश्वर, बचीराम पंत मंगलौर, हरिद्वार, मृत्युंजय कुमार शर्मा त्यूणी, देहरादून और हरीश चन्द्र कण्वघाटी, कोटद्वार शामिल हैं.

शासन के निर्देश के अनुसार सभी नए प्राचार्यों को एक सप्ताह के भीतर अपनी नई तैनाती स्थल पर अनिवार्य रूप से योगदान देना होगा और इसकी सूचना शासन को देनी होगी. उधर यदि कोई अधिकारी पदोन्नति का परित्याग करता है तो उसके विरुद्ध नियमावली के तहत कार्रवाई की जाएगी. उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि इन तैनातियों से कॉलेजों की कार्यप्रणाली में गति आएगी और शिक्षा का स्तर और अधिक मजबूत होगा.

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