सलाम है! छह ऑपरेशन के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, अब खुद डॉक्टर बनेगी उत्तराखंड की बेटी

जिस लड़की को डॉक्टरों ने नया जीवन दिया, अब वही डॉक्टर बनने की राह पर है। दर्द और तकलीफ से जूझते हुए भी उसने किताबों से नाता नहीं तोड़ा। छह बार ऑपरेशन झेलने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और अपनी मेहनत से सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में दाखिला पा लिया। यह प्रेरणादायक कहानी है गदरपुर की बेटी मानसी की, जिसने दुर्लभ बीमारी को मात देकर अपने सपनों में रंग भरे हैं।

मानसी को बचपन से स्कोलियोसिस नामक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें हड्डियां असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। आठवीं कक्षा में ही उनकी रीढ़ ‘एस’ आकार में मुड़ गई। हालात इतने गंभीर हुए कि उन्हें बार-बार दिल्ली एम्स जाना पड़ा, जहां 2017 से 2023 तक छह बड़ी सर्जरी हुईं। अब उनकी रीढ़ चार रॉडों के सहारे खड़ी है। बीमारी और दर्द के बावजूद मानसी ने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी। बैठने में दिक्कत हुई तो वह खड़े होकर और लेटकर दिन-रात आठ-दस घंटे पढ़ती रहीं। मेहनत और जुनून का नतीजा है कि पहले ही प्रयास में उन्होंने एमबीबीएस में सफलता पाई। गुरुवार को मानसी ने हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में दाखिल लिया।मानसी के पिता चंद्रेश पाल, जीआईसी गदरपुर में अंग्रेजी के शिक्षक हैं और मां कुमुद कुमारी गृहिणी।

परिवार ने दिया साथ

परिवार ने हर कदम पर हौसला दिया। वर्ष 2023 में मानसी ने सेंट मेरी स्कूल गदरपुर से 97 फीसदी अंक लाकर ऊधमसिंह नगर जिला टॉप भी किया था। मानसी का कहना है कि वह रोजाना पढ़ाई करती थी। वहीं डॉक्टर बनकर पूरा जीवन मरीजों और समाज की सेवा में समर्पित करना चाहती हैं।

राजकीय मेडिकल कॉलेज के लेक्चर थियेटर में एमबीबीएस की काउंसिलिंग हो रही है। काउंसिलिंग कमेटी के सदस्य हरिमोहन उपाध्याय, विजय हेड़िया, विजय वर्मा की टीम ने बताया कि पहले दिन 32 छात्र-छात्राओं की काउंसिलिंग प्रक्रिया पूरी हुई। गुरुवार को 33 की काउंसिलिंग की गई। उत्तराखंड के अलावा राजस्थान, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और यूपी से भी छात्र काउंसिलिंग में पहुंचे।

 

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