नैनीताल: हाईकोर्ट ने उत्तराखंड जल संस्थान के सहायक अभियंताओं की वर्ष 2013-14 में बनी चयन सूची व 2021 में बनी वरिष्ठता सूची को रद्द करने के पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के आदेश पर रोक लगा दी है.
जल संस्थान के AE की चयन सूची व वरिष्ठता सूची पर सुनवाई: पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल ने 8 अगस्त 2025 को जल संस्थान के मैकेनिकल व इलेक्ट्रिक विंग के सहायक अभियंताओं की याचिकाओं की सुनवाई के बाद 2021 में बनी वरिष्ठता व वर्ष 2013-14 में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा बनाई गई चयन सूची को रद्द कर दिया था
.इन इंजीनियरों ने अपनी याचिका में कहा था कि आयोग ने मेरिट सूची बनाते समय मैकेनिकल व इलेक्ट्रिक विंग के अभ्यर्थियों के अंकों में स्केलिंग की है, जबकि सिविल विंग के अभ्यर्थियों के अंकों में स्केलिंग नहीं की. तब सिविल विंग के 10 व मैकेनिकल/ इलेक्ट्रिक विंग के 5 अभ्यर्थी सहायक अभियंता पद पर चयनित हुए थे, जो वर्तमान में जल संस्थान के विभिन्न खंडों में प्रभारी अधिशाषी अभियंता हैं.
पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के आदेश को दी चुनौती: पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के 8 अगस्त 2025 के उक्त आदेश को अमित कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि चयन सूची करीब 12 साल पहले व वरिष्ठता सूची 4 साल पहले बन चुकी थी, जिसे अब चुनौती नहीं दी जा सकती
.दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खण्डपीठ ने फिलहाल पब्लिक सर्विस ट्रिब्यूनल के फैसले पर रोक लगा दी है. मामले की अगली सुनवाई दिसम्बर माह में होगी.
ऊधमसिंह नगर स्थित प्रसिद्ध प्राग फार्म की भूमि पर खड़ी फसल की कटाई और बिक्री सबंधी एकलपीठ के आदेश पर फिलहाल रोक लग गई है और इस मामले में शुक्रवार 17 अक्टूबर को पुनः सुनवाई होगी.
राज्य सरकार के हक में फैसला: एकलपीठ के आदेश को अपीलकर्ता माधवी अग्रवाल और अन्य की ओर से विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी गई. अपीलकर्ता के अधिवक्त टीए खान ने बताया कि न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने एक आदेश जारी राज्य सरकार के हक में फैसला देते हुए कहा कि प्राग फ़ार्म की भूमि पर खड़ी फसल की बिक्री सरकार करेगी और पैसे को एक अलग खाते में रखेगी
.इस आदेश के खिलाफ अपील की गई. इस मामले की सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एकलपीठ का फैसला गलत है. सरकार ने जमीन पर कब्जा ले लिया है, लेकिन इस भूमि पर खड़ी फसल पर उसका हक है.
सरकार ने दिया ये तर्क: दूसरी ओर सरकार की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया है कि प्रावधान राज्य सरकार के पक्ष में है और फसल की बिक्री राज्य सरकार की ओर से किया जाना चाहिए. राज्य सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि ऊधमसिंह नगर जिला प्रशासन ने फसल काट दी है. हालांकि अपीलकर्ता की ओर से कहा गया कि अभी फसल खड़ी है. इसके बाद खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी.













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