वाहनों की फिटनेस जांच को लेकर पिछले करीब डेढ़ महीने से चल रहा विवाद अब अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल गया है. गुरुवार से रामनगर के सभी कमर्शियल वाहन मालिकों ने अपने वाहन पूरी तरह से खड़े कर दिए, जिसके चलते आम जनता से लेकर घूमने आने वाले पर्यटकों तक सभी को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा.
रामनगर में गुरुवार 18 सितंबर को कमर्शियल वाहन स्वामियों ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत हड़ताल का बिगुल बजा दिया. उनका आरोप है कि पहले उनके वाहनों की फिटनेस जांच रामनगर स्थित सहायक परिवहन संभागीय कार्यालय में न्यूनतम दरों पर की जाती थी, लेकिन हाल ही में इस प्रक्रिया को रामनगर से हटाकर हल्द्वानी शिफ्ट कर दिया गया है. इससे वाहन स्वामियों को न केवल अतिरिक्त सफर करना पड़ रहा है, बल्कि फिटनेस शुल्क में भी तीन से चार गुना तक की वृद्धि कर दी गई है.
वाहन स्वामियों का कहना है कि फिटनेस जांच अब उनकी जेब पर भारी पड़ रही है. इससे पहले जहां वह स्थानीय स्तर पर आसानी से फिटनेस करवा लेते थे, वहीं अब उन्हें हल्द्वानी तक जाना पड़ रहा है और अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है.
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो आगामी 21 सितंबर से पूरे कुमाऊं मंडल में टैक्सी संचालन बंद कर दिया जाएगा. हड़ताल के कारण गुरुवार को रामनगर बस अड्डा पूरी तरह से खाली नजर आया. सड़कों पर यात्रियों की भीड़ तो थी, लेकिन वाहनों के पहिए थमे रहे.
स्थानीय लोगों के साथ-साथ पहाड़ों की ओर जाने वाले यात्रियों को भी भारी परेशानी उठानी पड़ी. सबसे ज्यादा असर कॉर्बेट नेशनल पार्क घूमने आने वाले सैलानियों पर पड़ा. कई पर्यटकों ने बताया कि वे सफारी और अन्य पर्यटन स्थलों पर जाने के लिए वाहनों का इंतजार करते रहे, लेकिन हड़ताल के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
जिप्सी यूनियन अध्यक्ष जगदीश छिम्वाल ने कहा कि सरकार और विभाग ने वाहन स्वामियों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया है. लंबे समय से आंदोलन चल रहा है, लेकिन आज तक कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला. उन्होंने कहा कि जब तक फिटनेस जांच रामनगर में पूर्ववत की तरह शुरू नहीं होती, तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी.
वहीं यात्रियों ने भी अपनी नाराजगी जताई. उनका कहना है कि अचानक हुई हड़ताल ने उनकी यात्रा योजनाओं को बिगाड़ दिया है. किसी को जरूरी काम से हल्द्वानी जाना था तो कोई पर्वतीय इलाकों में अपने रिश्तेदारों से मिलने जा रहा था, लेकिन वाहनों के संचालन बंद होने से वे फंसे रह गए.
गौरतलब है कि यह विवाद पिछले करीब 45 दिनों से जारी है. वाहन स्वामी लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन न तो सरकार और न ही परिवहन विभाग ने अब तक कोई समाधान निकाला है.
अब देखना यह होगा कि वाहन स्वामियों की इस चेतावनी के बाद विभाग और सरकार क्या रुख अपनाती है. यदि समाधान जल्द नहीं निकला तो आने वाले दिनों में हड़ताल का दायरा और बड़ा हो सकता है, जिससे पूरे कुमाऊं मंडल के यात्रियों और पर्यटकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
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