रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात व बूढ़ा मदमहेश्वर की तलहटी में सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य विराजमान भगवान मदमहेश्वर के कपाट खोलने की प्रक्रिया शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विधिवत शुरू हो गयी है.
रविवार को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह मूर्तियों को वेद ऋचाओं के साथ ओंकारेश्वर मन्दिर के गर्भगृह से सभा मण्डप लाई गई. स्थानीय श्रद्धालुओं ने भगवान मदमहेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित कर विश्व शान्ति व समृद्धि की कामना की. इस पावन अवसर पर विभिन्न राज्यों के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान ओंकारेश्वर व भगवान मदमहेश्रर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया.
बह्र बेला पर विद्वान आचार्यों व वेद पाठियो ने पंचाग पूजन के तहत अनेक देवी – देवताओं का आवाहन किया तथा रावल भीमाशंकर लिंग के नेतृत्व में भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को वेद ऋचाओं व मंत्रोच्चारण के साथ ओकारेश्वर मन्दिर के गर्भगृह से सभा मण्डप लाया गया. प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग ,टी गंगाधर लिंग ने भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों की विधि – विधान से पूजा – अर्चना व अभिषेक कर आरती उतारी. इस दौरान रावल भीमाशंकर लिंग ने मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी शिव लिंग का मदमहेश्रर धाम में 6 माह पूजा करने का वरण किया गया. स्थानीय श्रद्धालुओं ने बडे़ उत्साह व उमंग से भगवान मदमहेश्वर को नये अनाज का भोग अर्पित कर क्षेत्र के खुशहाली व विश्व कल्याण की कामना की।
19 मई को भगवान मदमहेश्रर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से रवाना होकर डगवाडी, ब्राह्मण खोली, मंगोलचारी, सलामी, फापज, मनसूना, बुरूवा , राऊलैंक, उनियाणा सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर भक्तों को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रांसी पहुंचेगी. 20 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रांसी से प्रस्थान कर अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गांव पहुंचेगी. 21 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गांव से प्रस्थान कर बनातोली, खटारा, नानौ, मैखम्भा, कूनचटटी यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी. डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मदमहेश्वर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेगें.
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