युवती ने की अपना विवाह शून्य करने की मांग, जानिए क्या है विवाह शून्य ।

पीलीभीत की एक युवती ने अपने पति के मानसिक रोगी और नपुंसक होने की बात छिपाकर शादी कराने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में शादी रद्द करने की अर्जी दी है। युवती का कहना है कि ससुराल वालों ने धोखे से शादी कराई और उत्पीड़न किया। कोर्ट ने ससुराल वालों को तलब किया है। युवती ने विवाह को शून्य घोषित करने की मांग की है।
कनखल क्षेत्र की एक नवविवाहित युवती ने पीलीभीत उत्तर प्रदेश निवासी अपने ससुरालियों पर बेटे के मानसिक रोग और शारीरिक अक्षमता को छिपाकर शादी कराने का आरोप लगाया है।

आरोप है कि युवक के नपुंसक होने की बात सामने आने पर उन्होंने जब ससुरालियों से शिकायत की तो आरोपितों ने उत्पीड़न किया। पीड़िता ने धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए विवाह को शून्य घोषित करने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने अगली तारीख देकर पति व ससुरालियों को तलब किया है।
कनखल क्षेत्र की युवती ने फैमिली कोर्ट में वाद दायर करते हुए बताया कि उनकी शादी इसी साल पांच मई को पीलीभीत में एक वैश्य परिवार के एक युवक से हुई थी। कार्यक्रम ऋषिकेश के एक रिसार्ट में संपन्न हुआ था
आरोप लगाया कि रिश्ता तय करते समय युवक को बीटेक पास और अध्यापक बताया गया, जबकि विवाह के बाद सामने आया कि वह लंबे समय से मानसिक रोग से पीड़ित है और बरेली के एक मनोचिकित्सक से उसका इलाज चल रहा है।

इसके बावजूद ससुरालियों ने यह तथ्य छिपाकर जल्दबाजी में शादी करा दी। पीड़िता का आरोप है कि विवाह के पहले दिन से ही पति ने शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया और स्वीकार किया कि वह इसमें सक्षम नहीं है। यहां तक कि उसने यह भी कहा कि यदि पत्नी चाहे तो किसी अन्य पुरुष से संबंध बना सकती है।
जब पीड़िता ने सास को बताया तो उन्हें चुप कराने की कोशिश की। पीड़िता ने कहा है कि युवक का व्यवहार असामान्य है। कभी वह पत्नी पर चरित्रहीन होने का आरोप लगाता, तो कभी मोबाइल पर अजीबोगरीब संदेश लिखकर स्टेटस में डाल देता, जिससे पीड़िता को अपने मायके और परिचितों के सामने शर्मिंदगी झेलनी पड़ी। इसके चलते उसका काम प्रभावित हुआ और अंततः नौकरी छूट गई। पीड़िता का कहना है कि अब तक वैवाहिक संबंध स्थापित नहीं हुए हैं।

आरोप लगाया कि युवक और उसके स्वजन ने जानबूझकर धोखाधड़ी से विवाह कराया, जो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत शून्य घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही मुकदमे का खर्च भी दिलाने की मांग की है। कोर्ट ने वाद स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए अगली तारीख तय कर दी है। विपक्षियों को नोटिस जारी करते हुए अगली तारीख पर उपस्थित होने के आदेश भी दिए हैं।

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