उत्तराखंड के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा, विपक्ष ने विधानसभा के अंदर रात भर दिया धरना

25 साल के उत्तराखंड के इतिहास में मंगलवार को एक अनोखी घटना हो गई. विपक्षी विधायक विरोध प्रदर्शन के फलस्वरूप विधानसभा सदन से बाहर नहीं निकले. विधानसभा अध्यक्ष, सत्ता पक्ष और खुद सीएम धामी के अनुरोध का भी कोई असर नहीं हुआ. गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के अंदर धरने पर बैठे विपक्षी विधायकों ने पूरी रात सदन में ही गुजार दी.

 

सदन शुरू होते ही हंगामा: दरअसल मंगलवार 19 अगस्त 2025 को उत्तराखंड विधानसभा का मॉनसून सत्र गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में शुरू हुआ. विपक्षी पार्टी कांग्रेस नैनीताल में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के साथ हुई धक्का-मुक्की और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर बहस करना चाहती थी. लेकिन सरकार सदन को पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार चलाने लगी. इस पर सत्र शुरू होते ही कांग्रेस के विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया. हालात माइक उखाड़ने और टेबल पलटने तक पहुंच गए.

कई बार रोकी गई विधानसभा की कार्यवाही: इस कारण विधानसभा की कार्यवाही को कई बार स्थगित करना पड़ा. मंगलवार शाम सवा चार बजे जब सदन चलाना मुश्किल हो गया तो विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने सदन की कार्यवाही को बुधवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. सदन की कार्यवाही स्थगित होने पर सत्ता पक्ष के विधायक और मंत्री तो सदन से चले गए, लेकिन विपक्ष के विधायक वहीं डटे रहे. इस दौरान वो सदन के अंदर धरना देते रहे.

वार्ता रही विफल: इस बीच शाम 5 बजकर 50 मिनट के करीब काफी मशक्कत और मान मनौब्बल के बाद विपक्ष और सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के साथ वार्ता हुई. करीब 40 मिनट चली ये वार्ता भी विफल हो गई. लंबी वार्ता के बाद भी कोई हल नहीं निकला. अपनी मांग पर अड़े कांग्रेस विधायक वापस सदन में लौट गए. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या के साथ ही विपक्ष नैनीताल की DM के ट्रांसफर, SSP के सस्पेंशन और फर्जी मुकदमे वापस लेने की मांग पर अड़ा रहा.

सीएम ने दिए कार्रवाई के निर्देश: पहले दिन विधानसभा के मॉनसून सत्र की कार्यवाही की स्थिति ये थी कि सत्र सिर्फ 1 घंटा 45 मिनट ही चल सका. इस बीच सीएम धामी ने नैनीताल तल्लीताल के धानाध्यक्ष का जिले से बाहर ट्रांसफर करने के निर्देश दिए. साथ ही बेतालघाट में चुनाव के दिन हुई फायरिंग के मामले में पुलिस क्षेत्राधिकारी भवाली का तबादला भी जिले से बाहर करने के निर्देश दिए. सीएम ने नैनीताल और बेतालघाट दोनों की घटनाओं की विस्तृत मजिस्ट्रेट जांच कुमाऊं मंडल दीपक रावत को सौंपते हुए पंद्रह दिन के अंदर रिपोर्ट तलब की. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि नैनीताल एवं भवाली में हुई घटनाओं तथा इस दौरान दर्ज समस्त प्राथमिकी की विस्तृत जांच अब सीबीसीआईडी द्वारा की जाएगी. लेकिन इससे भी विपक्ष पर असर नहीं पड़ा.

सीएम के फोन कॉल पर भी नहीं माना विपक्ष: इसके बाद खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की विपक्षी नेताओं से फोन पर बात की. उनसे धरना समाप्त करने की अपील की. मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रीतम सिंह से फोन पर बातचीत कर उनकी मांगों को लेकर चर्चा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी जो भी मांगें हैं, उन पर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए जा चुके हैं. उन्होंने दोनों नेताओं से धरना समाप्त करने और विधायक आवास पर लौटने की अपील की.

ये हैं विपक्ष की तीन मांगें: लेकिन विपक्षी विधायक अपनी मांगों पर अड़े रहे. इस बार उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कांपड़ी ने जानकारी दी कि, अभी भी कांग्रेस के विधायक सदन में बने हुए हैं. कांग्रेस विधायक और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी के अनुसार अभी भी विपक्ष की तीन मांगें बरकरार हैं. उनका कहना था कि नैनीताल DM का ट्रांसफर, SSP का सस्पेंशन और फर्ज़ी मुकदमे जब तक वापस नहीं लिए जाते, धरना जारी रहेगा. इस दौरान विपक्ष के विधायक विधानसभा सदन के अंदर से वीडियो भी जारी करते रहे. यहां तक कि निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने भी सदन से वीडियो जारी किया.

उत्तराखंड विधानसभा में पहली बार रात भर चला धरना: उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में ये पहला मौका है जब विपक्ष के विधायक रात भर धरना देने के लिए सदन के अंदर रहे. विधायकों ने बाकायदा रजाई कंबल मंगवाकर सदन में ही बिस्तर लगाया. इस तरह के धरना प्रदर्शन उत्तराखंड आंदोलन के दौरान दिखाई दिए थे. कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा सदन में रात भर दिए धरने से राज्य आंदोलन की याद ताजा कर दी. अब दिलचस्प बात ये होगी कि बुधवार को सरकार विपक्ष की तीनों मांगों पर विचार करती है, या फिर आज भी सदन की कार्यवाही धरना प्रदर्शन और हंगामे की भेंट चढ़ती है.

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