मसूरी के इस गांव में वन विभाग की अनुमति के बिना काट दिए पेड़, वनाधिकार समिति ने दर्ज कराई शिकायत

उत्तराखंड की हरी-भरी वादियों में बसा मसूरी का गांव दुधली, इन दिनों गंभीर विवाद और आक्रोश का केंद्र बना हुआ है. ग्रामीणों का आरोप है कि भू-माफिया वन भूमि पर पेड़ों की अवैध कटान कर रहे हैं और यह सब वनाधिकार कानून 2006 और पर्यावरणीय नियमों के विरुद्ध किया जा रहा है. स्थानीय वनाधिकार समिति और ग्राम सभा का कहना है कि उन्होंने इस मामले में राष्ट्रपति तक को पत्र लिखे हैं, पर कार्रवाई शून्य रही.

 

मसूरी के प्रभागीय वन अधिकारी डीएफओ अमित कुंवर ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कहा कि, हमें जानकारी मिली कि मसूरी के ही एक निवासी द्वारा दुधली क्षेत्र में भूमि खरीदी गई थी. उन्होंने बिना वन विभाग की अनुमति के करीब 8 पेड़ काट दिए. जब हमारे वनकर्मी मौके पर पहुंचे तो उनके साथ अभद्रता की गई. इस पर संज्ञान लेते हुए वन अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसके अतिरिक्त, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जा रही है.

फॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006 के अनुसार, किसी भी प्रकार की भूमि उपयोग, निर्माण या कटाई की प्रक्रिया ग्राम सभा और वनाधिकार समिति की अनुमति के बिना अवैध है. यह अधिकार स्थानीय समुदायों को संरक्षण, प्रबंधन और उपयोग के अधिकारों के साथ प्रदान किया गया है.

वनाधिकार समिति दुधली के सदस्य जबर सिंह वर्मा, बनवारी लाल, बीरबल सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि बाहरी लोग बिना अनुमति के जंगल में कब्जा कर रहे हैं. पेड़ काट रहे हैं. हमने कई बार अधिकारियों को लिखा, लेकिन शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई. अब जब पेड़ कट गए, तो वन विभाग हरकत में आया. हमारी ग्राम सभा को दरकिनार किया गया है.

उन्होंने कहा कि अगस्त 2025 में भू-माफिया द्वारा भूमि कब्जा और पेड़ कटाई बिना अनुमति के की गई. सितंबर 2025 में शिकायतें सभी उच्च अधिकारियों को भेजी गईं, जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है.

 

बता दें कि भारतीय वन अधिनियम, 1927 के तहत पेड़ों की अवैध कटाई दंडनीय अपराध है. फॉरेस्ट राइट्स एक्ट 2006 के तहत बिना ग्राम सभा की सहमति कोई भी कार्रवाई अवैध मानी जाएगी. आईपीसी की धारा 353/186 के तहत सरकारी कार्य में बाधा और सरकारी कर्मचारियों के साथ अभद्रता पर कड़ी सजा हो सकती है.

स्थानीय ग्राम सभा ने ‘वन बचाओ’ संघर्ष को प्रमुखता देते हुए कहा कि, हम जंगल के रखवाले हैं, न कि अपराधी. जो लोग कानून को ताक पर रखकर जंगल काट रहे हैं, उन्हें रोकना अब सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर जागरूक नागरिक की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि पूरे मामले की सीबीआई या एसआईटी से जांच हो और भू-माफियाओं की साठगांठ सामने आए. उन्होंने कहा कि स्थायी रूप से दुधली क्षेत्र को ‘वन संरक्षण क्षेत्र’ घोषित किया जाए. स्थानीय वनाधिकार समिति और ग्राम सभा को निर्णयों में प्राथमिकता दी जाए.

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