सहसपुर में करोड़ों रुपये की जमीन फर्जीवाड़े के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), देहरादून ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत बीरेंद्र सिंह कंडारी एवं अन्य के मामले में बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, दीप्ति रावत, लक्ष्मी राणा और पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के खिलाफ विशेष न्यायालय (पीएमएलए), देहरादून के समक्ष अभियोजन शिकायत (पीसी) दायर की है। साथ ही आरोपितों को सुनवाई के लिए नोटिस भी जारी कर दिए हैं।
ईडी ने आरोपितों के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत सहसपुर थाने में दर्ज मुकदमे के आधार पर जांच प्रारंभ की। जांच के दौरान यह पता चला कि हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और उनकी सहयोगी लक्ष्मी सिंह राणा ने बीरेंद्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, स्वर्गीय सुशीला रानी और अन्य व्यक्तियों के साथ मिलीभुगत करके करोड़ों रुपये की जमीन कम दरों में अपने नाम दर्ज करवा ली।
ईडी की जांच में यह सामने आया कि न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद सुशीला रानी ने अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश कर सहसपुर, देहरादून स्थित जमीनों की दो पावर आफ अटार्नी रजिस्टर्ड करवा दी। इसके बाद, इन जमीनों को पावर आफ अटार्नी धारक बीरेंद्र सिंह कंडारी, जोकि हरक सिंह रावत के करीबी हैं, ने दीप्ति रावत और लक्ष्मी सिंह राणा को उस क्षेत्र में प्रचलित सर्किल रेट से काफी कम दर पर बेच दिया।
दीप्ति रावत की ओर से खरीदी गई जमीनें अब दून इंस्टिट्यूट आफ मेडिकल साइंस (जोकि पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के अंतर्गत संचालित होता है) का हिस्सा हैं, जिसे हरक सिंह रावत के परिवार और उनके मित्रों की ओर से संचालित किया जाता है
।जनवरी 2025 में ईडी ने लगभग 101 बीघा भूमि, जिसकी कीमत लगभग 6.56 करोड़ रुपये (वर्तमान बाजार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है) है, को अस्थायी रूप से अटैच करने का आदेश जारी किया था, जिसमें इस मामले में देहरादून जिले की दो भूमियां शामिल हैं।
ईडी की ओर से आरोपितों से कई दौर की पूछताछ के बाद बुधवार को पांचों आरोपितों के विरुद्ध विशेष न्यायालय (पीएमएलए), देहरादून के समक्ष अभियोजन शिकायत दर्ज की। ईडी की ओर से अधिवक्ता यदुवीर सिंह हांडा ने बताया कि पांचों आरोपितों को न्यायालय में अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भी जारी कर दिए हैं।
Leave a Reply