500 किलोमीटर दूर जम्मू कश्मीर में रह रहे व्यक्ति ने उत्तराखंड में कैसे खरीदी बड़े पैमाने पर जमीन
उत्तराखंड सरकार की नाकामी जम्मू कश्मीर के निवासी को बनाया उत्तराखंड का भूमिहार
सोमवार को हुई प्रेस वार्ता के दौरान बेरोजगार संघ अध्यक्ष बॉबी पवार ने बड़ा खुलासा करते हुए उन्होंने बताया की जौनसार बाबर के जनजातीय क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखते हुए एक बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद फरोख्त हुई है।
आरोप लगाते हुए बॉबी पंवार ने कहा की जम्मू कश्मीर का मूल निवासी गुलाम हैदर नाम के व्यक्ति ने उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी है, जो की नियमो के विरुद्ध है।
जहां लंबे समय से उत्तराखंड में एक सशक्त भू कानून की मांग चल रही है वही इस तरह के खुलासे ने फिर से सरकारी व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आपको बता दें उत्तराखंड प्रदेश में सशक्त भूमि कानून न होने के कारण पिछले वर्ष मार्च 2022 को गुलाम हैदर नामक व्यक्ति ने खुद को उत्तराखंड मूल का बताते हुए जौनसार बावर के कालसी ब्लॉक में विकास नहरी के पास कृषि व बागवानी के नाम पर जमीन लेकर उत्तराखंड सरकार के भू-कानून की पोल खोल दी है।*
*तत्पश्चात शिकायतकर्ता द्वारा उप जिलाधिकारी कालसी को प्रार्थना पत्र प्रेषित कर अवगत कराया कि उक्त व्यक्ति उत्तराखंड का निवासी नहीं है, और 12 सितंबर 2003 से पूर्व उक्त व्यक्ति के परिवार के पास उत्तराखंड में कोई कृषि भूमि अभिलेख में दर्ज नहीं है।
शिकायतकर्ता को सूचना के अधिकार से प्राप्त सूचना में यह तथ्य सामने आता है, कि उक्त व्यक्ति जम्मू कश्मीर पुलिस से सेवानिवृत हुआ है, और उक्त व्यक्ति कश्मीर का एक जनजाति प्राप्त व्यक्ति है। उक्त व्यक्ति गलत गतिविधियों में सम्मिलित होने के कारण पुलिस से बर्खास्त भी रहा इसके बाद जब प्रकरण में जांच हुई तो राजस्व निरीक्षक द्वारा स्पष्ट रूप से यह कहा गया कि उक्त व्यक्ति ने जमीदार विनाश अधिनियम का घोर उल्लंघन किया है, और उक्त भूमि को राज्य सरकार में निहित किया जाना न्यायोचित है। फिर तहसीलदार द्वारा उक्त रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई न होने के कारण उनका स्पष्टीकरण होते हुए 24 जून 2023 में जिलाधिकारी ने जांच उप जिलाधिकारी कलसी को दी।
जिलाधिकारी के आदेश के लगभग 7 माह के पश्चात जब समाचार पत्रों में यह मामला आया तो उप जिलाधिकारी कलसी ने आनन-फानन में जम्मू कश्मीर निवासी के पक्ष में आदेश करते हुए कहा कि उक्त की शिक्षा उत्तराखंड में हुई है, उक्त व्यक्ति के भाई के नाम वन विभाग से 1 साल के लिए आवासीय लीज जो कि सन् 1970 में ही काल बाधित हो गई थी। और उक्त व्यक्ति के मामा के नाम उत्तराखंड में भूमि थी जो कि वह भू-कानून लागू होने से पहले ही विक्रय कर चुके थे।*
इस पूरे प्रकरण में क्रेता द्वारा गलत जानकारियां देकर भूमि हासिल की है। जब मामला प्रकाश में आया तो जिलाधिकारी देहरादून ने भी जमीदार विनाश अधिनियम का उलंघन बताकर उप जिलाधिकारी कालसी को तहसीलदार कालसी का स्पष्टीकरण प्राप्त करने के बाद प्रकरण का नियमानुसार आख्या प्रस्तुत करने के आदेश दिए।
परन्तु अभी तक इस मामले पर कार्रवाई न होना दर्शाता है कि सरकार उत्तराखंड की भूमि को बचाने के लिए कितनी गंभीर है। उक्त प्रकरण में जल्दी ही दोषियों पर कार्रवाई करते हुए उक्त भूमि को राज्य सरकार में निहित करें।