उत्तराखंड की आइएएस लॉबी उस समय सकते में आ गई, जब सचिवालय में तैनात आईएएस अधिकारी धीरज गर्ब्याल ने फेसबुक पर एक सनसनी मचाती पोस्ट डाली दी। उन्होंने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि अरे कुमाऊं के यूट्यूबर खड़ी बाजार के अलावा बहुत काम जोड़ना भूल गया। वीडियो देख के जोड़ लेना। संस्कृति, स्थापत्य कला का संरक्षण क्या होता है, ना तू समझ पाएगा और ना ही तेरा गढ़वाल का शकुनि पांडे! दोनों वीडियो देख के और मिलके इन कामों में प्रेस कॉन्फ्रेंस करवाते रहना।
आईएएस का इतनाभर लिखना था कि प्रदेश की नौकरशाही में बवाल मच गया। पोस्ट के संज्ञान में आते सचिवालय के उच्च पदस्थ ने प्रकरण की तह तक जाने के लिए खोज खबर शुरू की। काफी कुछ पता भी चला, लेकिन तब तक पोस्ट डिलीट कर दी गई थी या करवाई जा चुकी थी। हालांकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बात सचिवालय की दीवारों से बाहर सरेआम हो गई।
इस पोस्ट के बहाने यह चर्चा भी तेज हो गई कि धीरज गर्ब्याल की किन व्यक्तियों/अफसरों से ठनी पड़ी है। बताया जा रहा है कि जब धीरज नैनीताल के डीएम थे तो उन्होंने पहाड़ी शैली में बाजार और विभिन्न स्थलों को विकसित करने का काम किया। लेकिन, उसके बाद नोएडा निवासी संजय गुप्ता ने धीराज गर्ब्याल के वर्ष 2021 से 2023 तक के नैनीताल के विभिन्न कार्यों में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी थी।
याचिका में खनन संबंधी विभिन्न कार्यों और अधिकार क्षेत्र को लेकर लिए गए कई निर्णयों को भी कठघरे में खड़ा किया गया। जिसमें जुर्माना माफी जैसे आरोप भी शामिल हैं। इसके अलावा एससी/एसटी वर्ग की जमीनों का स्वरुप बदलकर बेचे जाने जैसे प्रकरण को भी लपेटा गया है। बात यह भी उठ रही है कि इस सबके पीछे यूट्यूबर और शकुनि लिखकर संबोधित किए गए महानुभावों का भी हाथ रहा है।
शायद अब भी धीराज गर्ब्याल को पर्दे के पीछे से पिंच किया जा रहा हो। नहीं तो एक वरिष्ठ अधिकारी इस तरह भावुक न होते और न उनकी वॉल से इस तरह की बहुअर्थी और तीखी पोस्ट साझा की जाती। इस पूरे मामले में सचिव पद पर तैनात धीराज की आधिकारिक टिप्पणी आनी शेष है। देखते हैं वह डिलीट की गई पोस्ट की तरह मामले का पटाक्षेप करते हैं या आने वाले दिन पर कुछ नई कहानी बयां करते हैं।
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