उत्तराखंड का एक ऐसा गांव जहां नहीं हुए प्रधान के चुनाव

उत्तराखंड का ऐसा  गांव जहां नहीं हुए प्रधान के चुनाव

देहरादून : उत्तराखंड में वर्तमान में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव शुरू होने  वाले हैं इसके बाद से प्रत्याशियों की होड़ लग जाएगी घर-घर पर प्रत्याशी जाएंगे बिजली पानी और सड़क के मुद्दे फिर से उछाले  जाएंगे वादों की बौछार होगी। बैनर पोस्टर की बरसात होगी। तमाम प्रत्याशी चुनाव को जीतने के लिए जीत तोड़ मेहनत करने  के लिए तैयार है। लेकिन क्या आप जानते है कि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव भी है जहां अभी तक ग्राम प्रधान के लिए चुनाव नहीं हुआ।

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में बसा सुपी गांव एक ऐसी मिसाल पेश करता है, जो आज के दौर में लोकतंत्र की सादगी और एकता का प्रतीक है। पिछले 78 सालों से, यानी आजादी के बाद से, इस गांव में ग्राम प्रधान का चुनाव कभी नहीं हुआ। यहां ग्रामवासी आपसी सहमति से अपने नेता का चयन करते हैं, बिना किसी औपचारिक मतदान, रैली या चुनावी खर्च के। यह परंपरा न केवल गांव की एकजुटता को दर्शाती है, बल्कि आधुनिक पंचायत चुनावों के लिए भी एक सबक देती है।

आपको बता दें सुपी गांव में हर पांच साल में ग्रामवासी एक पेड़ के नीचे या सामुदायिक स्थान पर इकट्ठा होते हैं। यहां कोई जोर-शोर से प्रचार नहीं होता, न ही बैनर-पोस्टर की चकाचौंध। गांव के लोग खुलकर चर्चा करते हैं और सर्वसम्मति से उस व्यक्ति को चुनते हैं, जो उनके गांव के लिए सबसे उपयुक्त नेता हो। यह चुना हुआ उम्मीदवार नामांकन दाखिल करता है, और बिना किसी प्रतिस्पर्धा के ग्राम प्रधान बन जाता है। इस प्रक्रिया ने न केवल गांव में शांति बनाए रखी है, बल्कि चुनावी खर्च और विवादों को भी खत्म किया है।

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